लोकसभा चुनाव के ठीक मोदी – 2 सरकार द्वारा घोषणा की गई थी कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पीएम किसान सम्मान को लागू किया जाएगा।
सूचना के अधिकार से पता चलता है कि पीएम किसान सम्मान योजना की जमकर बंदर बांट हुई है। सूचना के अधिकार कानून से पता चलता है कि 31 जुलाई 2020 तक 20.48 लाख से अधिक लोगों को इस योजना के तहत धनराशि प्रदान की गई है।
खास बात यह है कि यह लोग इसके हकदार भी नहीं थे। इस तरह से इन लोगों के खाते में कुल 1364.13 करोड़ रुपए भेजे गए हैं।
बता दें कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत लघु और सीमांत किसानों को आर्थिक लाभ प्रदान करने के लिए की गई थी।
जिसमें उन लोगों को पात्र माना गया था जिनके पास 2 एकड़ से कम जमीन हो। सूचना के अधिकार (RTI) से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना का लाभ लेने वाले आधे से अधिक लोग ऐसे अपात्र लोग थे जो आयकर की श्रेणी में आते हैं और शेष 44.41% ऐसे किसान थे जो इस योजना के हकदार भी नही थे।
पंजाब के करीब 4.74 लाख अपात्र लोगों को लाभ पहुंचाया गया है, इस योजना के तहत। दूसरे नंबर पर असम और तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है। इन तीनों राज्यों में कुल 54.03% अपात्र लोगों को इस योजना के तहत लाभ पहुंचाया गया है।
आयकर देने वालों को भेजे गए करोड़ों रुपए :-
सूचना के अधिकार से मिले दस्तावेज के अनुसार 13.64 करोड़ में से 9.85 करोड़ों रुपए आयकर देने वालों को दिए गए हैं। जबकि यह अपात्र किसान में शामिल हैं।
दूसरे शब्दों में कह ले तो कुल धनराशि का 27.78% अपात्र किसानों को दिया गया है। दूसरी श्रेणी के अपात्र लोगों में सबसे अधिक संख्या पंजाब के लोगों की रही है। उसके बाद असम और महाराष्ट्र का स्थान है।
आरटीआई कार्यकर्ता और कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनीशिएटिव ( Commonwealth Human Rights Initiative ) से जुड़े वेंकटेश नायक ने डाउन टू अर्थ को दिए गए एक इंटरव्यू में बताया कि यह सरकारी पैसे भेजने में गंभीर लापरवाही का नतीजा है।
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बहुत सारे अपात्र लोगों को इस योजना की 5-5 किश्त मिल गई है। वही जो लोग इसके पात्र थे वह इस योजना से वंचित रह गए हैं।
लाभार्थियों की ठीक पहचान न होना :-
वेंकटेश कहते हैं कि लाभार्थियों की ठीक से पहचान न होने के कारण अपात्र और गलत लोगों के खाते में धनराशि चली गई है। सरकार अब अपात्र लोगों को भेजी गई रकम वसूलने का प्रयास कर रही है।
लेकिन यह एक बेहद जटिल काम है। क्योंकि इस काम में लोगों को अलग से लगाना होता है और वसूली में भी भारी धनराशि खर्च हो जाती है। दूसरी बात भारत जैसे देश में अपात्र लोगों की पहचान करना और उन तक पहुंचना एक बेहद मुश्किल काम है