भारत में स्वास्थ्य सुविधा उतना बेहतर नहीं है। बढ़ते हुए आबादी और डॉक्टरों के विदेशों में बढ़ते पलायन की वजह से स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता और उपलब्धता में असंतुलन बन रहा है।
जैसे-जैसे जीवनयापन की लागत बढ़ती जा रही है स्वास्थ्य सुविधाओं की लागत आए दिन कम होती जा रही है। लेकिन समस्या यह नही है कि स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए हम खर्च नही कर सकते बल्कि समस्या यह है कि हमें एक ऐसा समाधान चाहिए, जो कम दाम में बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो, जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सके और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता को आमजन तक आसानी से पहुंचाया जा सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) का उपयोग करके सुधारात्मक तकनीक में सुधार करने की पूरी संभावनाएं हैं। इससे समस्याओं का एक बेहतर समाधान निकल सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई स्तर से मददगार साबित हो सकती है और स्वास्थ्य संसाधनों की खाई को भरने के लिए आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना जरूरी हो गया है।
आज के दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा समाधान प्रदान कर सकता है जो स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। खास करके उनके लिए प्राथमिक परत के रूप में इसका इस्तेमाल करें तो बेहतर होगा।
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आज के दौर में मोबाइल फोन और किफायती डाटा की वजह से कनेक्टिविटी बढ़ रही है, सामाजिक परिवर्तन हो रहे हैं और सस्ती स्वास्थ्य सुविधा द्वारा जनता को लाभान्वित किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शुरू करके लोगों तक इसे आसानी से पहुंचा के बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
लेकिन कंप्यूटर को जटिल सिद्धांतों को समझने और मानव को उसे समझाने और उसके उपयोग को आसान बनाने के लिए इसका कौशल विकसित करना और इसे और अधिक उपयोगी बनाकर लोगों के लिए सुलभ बनाना होगा।
विश्व स्तर पर देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्रांति का सबसे ज्यादा असर स्वास्थ्य सुविधाओं में देखने को मिल रहा है।
लेकिन यह निवेश पर भी निर्भर करता है क्योंकि जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निवेश बढ़ाया जाएगा तब वैज्ञानिक ज्यादा अनुसंधान के साथ अपनी सेवाओं को बेहतर करने में सक्षम हो सकेंगे। तभी सटीक दवाओं के परिणाम और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआई) का इस्तेमाल करके भारत में निम्नलिखित सुधार किया जा सकता है-
- योग्य पेशेवरों और डॉक्टरों, नर्सों, टेक्नीशियन जैसे बुनियादी ढांचा की कमी को दूर किया जाना सम्भव होगा।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में गैर समान पहुंच कम हो जाएगी और ग्रामीण और शहरी भारत के बीच के अंतर को कम करने में मदद मिलेगी।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने से स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो जाएगी, जिससे गरीब और लाचार लोगों को ज्यादा मुश्किल नही देखनी पड़ेंगे।
- अभी अधिकांश स्वास्थ्य सुविधा आसानी से असहाय लोगो तक नही पहुँच पाती है लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने से इसकी पहुंच सब लोगों तक हो सकेगी।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आने से लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को आम लोगो तक पहुंचाने में आसानी होगी और स्वास्थ्य में सुधार के लिए दैनिक स्तर पर उनके दैनिक जीवन शैली की निगरानी कर के सटीक इलाज किया जा सकेगा।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कई सारी बीमारियों के संकेत उनकी गंभीरता से पहले ही पता चल जाएंगे, जिससे उन बीमारियों की रोकथाम में मदद मिलेगी जैसे कि ब्लड प्रेशर के पैटर्न में बदलाव, सांस लेने के पैटर्न में बदलाव, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों के संकेत समय से पहले मिल जाएंगे और उनका इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सकेगा।