कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के कई देशों ने लॉकडाउन के विकल्पों को अपनाया था। अब इसके संबंध में एक शोध हुआ है जिसमें शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि लॉकडाउन के कारण लोगों में मोटापा बढा है।
शोध में यह भी पाया गया है कि लॉकडाउन की वजह से लोगों में भावनात्मक तनाव के साथ ही आर्थिक चिंता भी बढ़ गई है वजह यह भी है कि आर्थिक गतिविधियों में कमी आ गई है और लॉकडाउन में दुनियाभर की अर्थव्यवस्था ठप्प हो गई थी।
ऐसी परिस्थिति में शोधकर्ताओं ने लोगों को सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के उपाय को अपनाने के साथ ही सामुदायिक सहयोग को बढ़ाने की भी सलाह दी है।
यह शोध डेनमार्क के कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है जिसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस हमारी से लड़ने के लिए अपनाई गई लॉक डाउन की नीति से लोगों में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक स्तर पर असुरक्षा की भावना पनप गई है।
नतीजा यह है कि लोग मोटापा का शिकार हो रहे हैं। यह शोध नेचर रिव्यू एंड्रोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।
इस शोध के निष्कर्ष में पाया गया है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए हैं।
लेकिन महामारी के इस दौर में लोगों को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने और सुरक्षित रहने के लिए पाचन तंत्र के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
वैज्ञानिकों ने शोध में कहा है कि इस महामारी के दौरान लोगों के मोटापे पर भी शोध करने की जरूरत है ताकि समय रहते लोगों को मोटापे के शिकार होने से बचाया जा सके। बता दें कि मोटापे की वजह से तमाम तरह की बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि नीति निर्माता इस बात को पूरी तरीके से समझ नहीं पा रहे हैं कि लॉकडाउन करने से और लोगों के कारोबार बंद होने से मोटापा कैसे बढ़ रहा है।
बता दें कि मोटापा एक गंभीर बीमारी है और इसके इलाज के साधन भी बेहद सीमित है इसलिए जरूरी है कि लोगों को अपने स्वास्थ्य और मोटापे को लेकर जागरूक किया जाये।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस समय लोग अपने सीमित आर्थिक संसाधन से भूख मिटाने के लिए ज्यादा एनर्जी वाले खाने का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसकी वजह से वह ज्यादा कैलोरी का सेवन कर ले रहे हैं और नतीजा वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या देखने को मिलेगी।
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डेनमार्क के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत माइकल बैंग पीटरसन का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते लोगों की नौकरी पर बनाई है और लोगों के मन में नौकरी छूट जाने की आशंका घर कर गई है।
ऐसे में बहुत लोग अपने खाने पीने को लेकर बेपरवाह हो गए हैं। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी में शारीरिक दूरी बनाने की सलाह दी जा रही है लेकिन शारीरिक दूरी की वजह से लोग एक सीमित समाज में बंद हो कर रह जाएंगे और उनमें अकेलापन की भावना बढ़ सकती है।
घरों में बंद रहने की वजह से लोगों की शारीरिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही है नतीजा यह है कि मोटापा की समस्या बढ़ रही है।