आपलोग जागरूक हो,यह जानकर बड़ा ही अच्छा लगा। सबको बोलने का हक है आपने भी बोला। यद्यपि आप तीनों भारत से नही हो इसलिए यहां के मुद्दे भी सीधे तौर पर आपके नही हैं।
फिर भी आपने किसान आंदोलन को लेकर बात की।इससे यही लगता है कि आप संवेदनशील हो। मानवाधिकार और वैश्विक चिंताओं की वजह से आपने इस मुद्दे में रुचि दिखाई।
आप मे से कुछ को यहां के 90% लोग कल तक जानते ही नही थे। मैं आपकी नेकनीयती पर शक नही कर रहा लेकिन आपका तीसरी दुनिया से हम भारतीयों के मुद्दे पर ट्वीट करना भारत मे अपनी पहचान बनाने का जरिया भी हो सकता है।
लगभग 1.5अरब की आबादी वाले देश मे आपको कोई जानता ही न हो,थोड़ा अजीब लगता है न!! आपको क्षोभ हुआ होगा। इसीलिए आपकी प्रचार टीम ने इतनी बड़ी आबादी को इग्नोर करना उचित नही समझा।
मुझे नही पता आप लोगों का सोशल मीडिया अकॉउंट कौन सम्भालता है;आप या आपकी प्रचार टीम।लेकिन जिसने भी इस मुद्दे पर रुचि दिखाई, दिमाग वाला रहा होगा।
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जहाँ के लोग किसान आंदोलन के नाम पर 2 खेमों में बंट गए हों,आपने या आपकी टीम ने इसे मौके के रूप में लिया। आपने आंदोलन के पक्ष में ट्वीट किया या विपक्ष में यह मायने नही रखता।
आपने रुचि दिखाई यह मायने रखता है। आपको ट्वीट करना ही था। आंदोलन के नाम पर जब कोई रातों-रात नेता,हीरो,मसीहा बन सकता है तो इसके माध्यम से भला फ़ॉलोअर्स बढ़ाना कौन सा गुनाह है!!
आपके एक ट्वीट से भारत का बड़ा हिस्सा आपका फैन बन गया तो उससे भी बड़ा आपका विरोधी। लेकिन एक बात कामन रही आपके नए बने फैन और विरोधी दोनो आपके चर्चे कर रहे हैं और आपका प्रचार भी।इतना प्रचार तो पैसे देकर भी नही हो सकता।
भारत के बाजार में आपका माल न सिर्फ बिका बल्कि प्रचारित भी हुआ। क्या आपको पता है भारत के बगल में ही एक और बड़ा बाजार है-चीन।अब आप चीन की ओर नजरें इनायत कीजिये।
वहां की भी विशाल आबादी टेक प्रेमी है। अगर आपका माल वहां हिट हो गया तो आपको हाथों हाथ लिया जाएगा।
यद्यपि वहां ट्विटर नही काम करता लेकिन फिक्र की कोई बात नही, आज टेक्नोलॉजी के युग मे हमारे पास अपनी बात पहुंचाने के हजारों तरीके हैं।
अब आप किसी एक तरीके से चीन नामक अति विशाल बाजार में अपना माल बेचिए।यदि आप लोगों को वहां के मुद्दे न दिख रहे हों तो मैं आपकी हेल्प कर सकता हूँ।
शिनजियांग प्रान्त के उइगर मुस्लिमों पर सदियों से जुल्म ढाये जा रहे हैं। अभिव्यक्ति या धार्मिक आजादी की तो बात छोड़िए,उनका जीना ही मुश्किल है।
वहां के उइगरों को न सिर्फ कैद किया गया है बल्कि दाढ़ी-टोपी-बुरका सब पर प्रतिबंध है। वहां के कैम्पों में तरह तरह की यातनाएं दी जाती हैं।कैद उइगर महिलाओं का सामूहिक बलात्कार आम बात है।
इस पर आप लोग क्यों ट्वीट नही करतीं, आवाज क्यों नही उठातीं? वहां गलत हो रहा है, मानवाधिकार छीने जा रहे हैं यह आप भी जानती होंगी ।
आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए दिल्ली,हरियाणा में कुछ घण्टो के लिए इंटरनेट शट डाउन कर दिया गया, यह बड़ा मुद्दा है या फिर उइगर मुस्लिमों को जबरन कैद करके सामूहिक बलात्कार, संहार किया जाना??
अपनी प्रचार टीम को इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए कहिए न!! अगर माल बिका तो आप रातों रात “मानवाधिकार मसीहा” बन जाएंगी।
इस सोशल मीडिया ने न जाने कितनों को फर्श से उठाकर अर्श तक पहुंचाया है। यदि आपकी रणनीति प्रचार पाना , फॉलोवर्स बढ़ाना है तो यकीन मानिए आप हिट होंगी।
इसके विपरीत यदि आपने किसान आंदोलन पर “दिल से” ट्वीट किया है क्योंकि आपको गलत होता हुआ दिख रहा है तो यकीन मानें उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार इससे कई गुना बड़ा है।
इंतजार रहेगा आपके ट्वीट का…….
सादर!!
~ Bhupendra Singh
लेखक : भूपेंद्र सिंह चौहान