मेंटल इम्यूनिटी यानी कि हमारे मानसिक प्रतिरोधक क्षमता का असर हमारे सेहत पर पड़ता है। मेंटल इम्यूनिटी अच्छी होने से किसी भी बीमारी से निजात जल्दी मिल जाती है।
कोरोना वायरस महामारी के दौर में मेंटल इम्यूनिटी पर भी ध्यान दिया जा रहा है, जिन लोगों का मानसिक प्रतिरोधक क्षमता अधिक है, उनमे देखा जा रहा है कि वे लोग जल्दी से इस बीमारी से ठीक हो रहे हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ राकेश पांडे ने मेंटल इम्युनिटी के संबंध में अपने विचार रखते हुए कहा हैं जैसे कोरोना वायरस के शुरुआती दौर में इस संक्रमण से उबरने के लिए तमाम उपाय के लिए जो तर्क दिए जा रहे थे और जो उपाय किए गए वह लोगों की प्रत्याशा पर चोट पहुंचा रहे हैं, क्योंकि जब कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने लगा सब लोगों का पूर्व अनुमान गलत निकलने लगा और जिसकी वजह से लोग तनाव में जीने लगे।
हालांकि सभी लोग में इसका तनाव देखने को नहीं मिला है, लेकिन काफी लोगों में मानसिक तनाव देखने को मिल रहा है। डॉक्टर राकेश पांडे के अनुसार जब हमारे द्वारा लगाया गया पूर्वानुमान सही नहीं होता है तब अक्सर देखा जाता है कि हम तनाव में चले जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सामान्य रह कर संयम बरतते हैं, यही होती है ‘मेंटल इम्यूनिटी’।
चाहे कोरोना वायरस महामारी हो या फिर कोई भी परेशानी या फिर संकट उससे उबरने में मेंटल इम्यूनिटी का योगदान काफी ज्यादा होता है।
अब लोग इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए खानपान को लेकर बेहद सतर्क हो गए हैं और शारीरिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं, लेकिन असुरक्षा की भावना के साथ अगर कोई चीज हमें आगे बढ़ने के लिए चाहिए तो वह है मेंटल एबिलिटी।
वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉक्टर पंकज कुमार झा का कहना है कि मेंटल इम्यूनिटी पर ध्यान दिए बिना शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए जितने भी उपाय किए जाते हैं वह जरूरी नहीं है कि काम करे।
यानी कि हमारे बॉडी की इम्युनिटी अच्छी होने के साथ-साथ हमारे मेंटल इम्यूनिटी का भी अच्छा होना भी जरूरी है। मेंटल इम्यूनिटी के अभाव में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होने के बावजूद हम बीमारियों से नहीं बच सकते हैं।
डॉक्टर के अनुसार उलझी हुई या फिर नकारात्मक सोच हमारे इम्यून सिस्टम को पूरी तरीके से प्रभावित करके उन्हें कमजोर कर देती है।
अक्सर देखा जाता है कि बहुत लोग अपने मन से डरते रहते हैं और इस बात से यह पता चलता है कि वह कितने संवेदनशील है और तनाव में है पर अगर बेहतरी की इच्छा रखी जाए तो यह ज्यादा अच्छा होता है।
मेंटल एबिलिटी के अच्छा होने का मतलब है सकारात्मकता और इसका प्रभाव न सिर्फ हमारे शरीर पर पड़ता है बल्कि इसका असर हमारी जिंदगी पर भी देखने को मिलता है। इसलिए मेंटल इम्यूनिटी का अच्छा होना बेहद जरूरी है।
कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते आंकड़ों से लोगों के मन में चिंता बढ़ रही है लेकिन इसे स्वीकार कर ले की इस परेशानी से तो निजात नहीं पाया जा सकता है लेकिन इसे बेहतर करने की दिशा में जरूर काम किया जा सकता है और यही अच्छी मेंटल इम्यूनिटी का संकेत भी है।
दिल्ली के वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अलका अरोड़ा का कहना है कि लोगों ने अपनी खुशियां भौतिक चीजों से जोड़ रखी है और अपना खुद का ख्याल रखना भूल गए हैं, लेकिन मुश्किल समय में ये भौतिक चीजें काम नहीं आती है , इसमें सिर्फ मेंटल इम्यूनिटी ही काम आती है।
किसी भी समस्या से निकलने के लिए सबसे जरूरी जरूरी होता है कि हम उसके प्रति कितने संवेदनशील है और कितना सब्र रख पाते हैं, साथ ही औरों की खुशियां भी हमारे लिए मायने रखती है।
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लेकिन दिखावा, जलन और दूसरों से आगे निकलने की होड़ मेंटल एबिलिटी को कमजोर कर देती है। अगर मेंटल इम्यूनिटी को मजबूत कर लिया जाए तो हर तरह की बाधा से अपने आप ही पार पाया जा सकता है।
इस समय कई शोध में यह बात निकल कर आ रही है कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से लोग अवसाद और चिंता में जा रहे हैं लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं जो परिस्थितियों के साथ सामान्य बनने में सफल हैं।
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अगर ध्यान दिया जाए तो कंटेनमेंट जोन सबके लिए निराश करने वाला नहीं है, ज्यादातर लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं और चिंता बढ़ा लेते हैं। ऐसे में अगर नजरिया ही बदल लिया जाए तो इससे मेंटल एबिलिटी को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
मेंटल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए अगर खुद का प्रयास काम न कर रहा हो तो काउंसलर और इंटरनेट की मदद से इसे बढ़ाया जा सकता है।
मेंटल इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए नकारात्मक विचारों को अनदेखा नहीं करना है बल्कि अपने आसपास की नकारात्मकता को सहज भाव से स्वीकार कर लेने और उसे जिंदगी का हिस्सा मान कर खुद को संभाल लेने और संतुलन बनाते हुए जिंदगी में आगे बढ़ने से मेंटल इम्यूनिटी को मजबूत किया जा सकता है।