भारत में अक्सर एलएसी और एलओसी पर विवाद और सेना के बीच झड़प की खबरें आती रहती हैं। भारत की पाकिस्तान से लगने वाली सीमा को एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) के नाम से जानते हैं, वही भारत की चीन से लगने वाली सीमा को एलएसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) के नाम से जानते हैं।
लेकिन इस बारे में बहुत कम ही लोगों को मालूम होगा कि भारत में सीमा रेखा को 3 तरह से विभाजित किया गया है। कुछ क्षेत्र की सीमा रेखा को LOC के नाम से जानते हैं तो कुछ को LAC के नाम से वहीं अन्य कुछ क्षेत्र की सीमाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा कहा जाता है।
सीमा रेखा पर अक्सर पड़ोसी देशों के साथ विवाद की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में इन के बारे में विस्तार से जानकारी हर किसी को होनी चाहिए । आज हम जानेंगे अंतरराष्ट्रीय सीमा, एलएसी और एलओसी के बारे में –
अंतर्राष्ट्रीय सीमा – अंतर्राष्ट्रीय सीमा उसे कहा जाता है जब किसी देश की सरहद अन्य पड़ोसी देश से स्पष्ट तौर से अलग होती है। इस अंतरराष्ट्रीय सीमा को रेडक्लिफ लाइन के नाम से भी जान सकते हैं। यह रेडक्लिफ लाइन पर ही स्थित होती है।
इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा इसलिए कहा जाता है क्योंकि दुनिया के सभी देशों द्वारा इसे मान्यता प्राप्त होती है और यह स्पष्ट सीमा रेखा होती है और अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा को लेकर कभी भी पड़ोसी देशों के से साथ किसी भी प्रकार का विवाद नहीं होता है।
भारत के अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा गुजरात के समुद्र से शुरू होकर पंजाब, राजस्थान और जम्मू कश्मीर से होकर गुजरती हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा द्वारा ही भारत और पाकिस्तान के चार प्रांत अलग होते हैं ये कश्मीर, वाघा और भारत पाकिस्तान का पंजाब का क्षेत्र है। भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखा पाकिस्तान के अलावा म्यांमार बांग्लादेश और भूटान के साथ भी बनती है।
LOC (लाइन ऑफ कंट्रोल) – एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) को नियंत्रण रेखा के नाम से भी जाने जाते हैं। एलओसी पर दोनों देशों के सैन्य समझौते के तहत ऐसी निर्धारित किया गया है। इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय नहीं मानता है। भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा को एलओसी के नाम से जानते हैं। 1947 के समय भारत पाकिस्तान के बंटवारे के समय कश्मीर भारत का हिस्सा था लेकिन आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा को लेकर विवाद होते रहे हैं।
1948 में ही दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की आपसी सहमति से एलआईसी का निर्धारण किया गया था। लेकिन आज भी भारत और पाकिस्तान के सीमा रेखा पर खास करके कश्मीर में विवाद की घटनाएं आती रहती हैं। पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है।
1972 में भारत पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता हुआ था। इस समझौते में दोनों देश की सेना ने नक्शे पर एक लाइन खींच दी थी इसे लाइन ऑफ कंट्रोल कहा गया। लेकिन यह आधिकारिक सीमा रेखा नहीं है। सैन्य अधिकारियों ने इसे एलएसी को नियंत्रण नियंत्रण का हिस्सा कहते हैं और विवादित हिस्से से दूर रहने के लिए एलओसी का निर्धारण किया गया था।
एलएसी (लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल) – वास्तविक नियंत्रण रेखा के नाम से एलएसी को जानते हैं। यह भारत और चीन के बीच 4057 किलोमीटर की सीमा रेखा को निर्धारित करती है। इसे ही एलएसी (लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल) के नाम से जानते हैं। वर्तमान समय में एलएसई लद्दाख, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है।
यह भी पढ़ें : भारत इस तरह करता है चीन से लगी सीमा की निगरानी
एलएसी भी दोनों देशों के लिए युद्ध विराम के लिए विराम रेखा निर्धारित की गई है और लेकिन इसे मैप पर स्पष्ट तौर पर निर्धारित नहीं किया गया था। भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध के दौरान चीन की सेना जहां तक मौजूद थी उसे ही एलएसी माना गया है और इस युद्ध के दौरान चीन ने भारत के अधिकार क्षेत्र वाले अक्साई चीन पर अपना कब्जा कर लिया था और यही वजह है कि आज वैश्विक स्तर पर एलएसी को अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं माना जाता है।
वैसे तो भारत और चीन से लगने वाली सीमा को मैक मोहन लाइन के नाम से जानते हैं इसका निर्धारण अंग्रेजों ने भारत और चीन के बीच किया था। उस समय भारत में अंग्रेजों का ही शासन था। लेकिन चीन मैक मोहन रेखा को सीमा रेखा नहीं मानता है और यही वजह है कि 1962 में युद्ध के दौरान भारत के हिस्से को चीन ने अपने कब्जे में कर लिया था और आज के समय में गलवन घाटी में होने वाला हिंसक झड़प इसका उदाहरण है। चीन गलन घाटी को अपना क्षेत्र बताता है तो भारत गलवन घाटी को अपना क्षेत्र बताता है।