कोरोना वायरस (कोविद -19) के इलाज के लिए रेमेडीसविर और फेविपिरवीर दवा को मंजूरी दी गई हैं, जबकि ब्रिटेन ने स्टेरॉयड डेक्सामेथासोन के उपयोग को भी ममजूरी मिल गई है। हालांकि अभी तक कोरोन वायरस के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है, संक्रमित लोगो को विभिन्न दवाओं के जरिये इलाज किया जा रहा है।
इनमे वे दवाएं है जिन्हें अन्य बीमारियों के इलाज में प्रयोग किया जाता रहा है । कोरोना वायरस के उपचार के लिए रेमेडीसविर और फेविपिरवीर के जेनेरिक संस्करण से इलाज को मंजूरी मिली है। क्योकि इन दवाओं में यह पाया गया है कि ये वायरल लोड को कम करने में मदद करती हैं, लेकिन ये कोई “गेम चेंजर” नहीं हैं।
भारत ने कोरोना वायरस के रोगियों के एक समूहों पर टोसीलिज़ुमैब और एनाल्जेसेंट प्लाज्मा थेरेपी के ऑफ-लेबल उपयोग को भी मंजूरी दी गई है ।
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इसके अलावा, भारत भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन का उपयोग भी रहा है , जो एक एंटीमाइलेरियल दवा है जो एक एंटीबायोटिक दवा के रूप में कोरोना से लड़ने में मददगार बताई जा रही है।
कोरोना वायरस के इलाज में प्रयोग होने वाली दवाएं :
- रेमेडिसविर
अमेरिका स्थित बायोफार्मा कंपनी गिलियड साइंसेज द्वारा विकसित, रेमेडिसविर एक एंटीवायरल दवा है जो इबोला के उपचार के लिए इस्तेमाल हो रही थी और कोरोना वायरस के उपचार के लिए फिर से इसे तैयार किया गया है। सिप्ला लिमिटेड ने घोषणा की है कि रीमेडिसविर के जेनेरिक संस्करण को सिप्रेम नाम के ब्रांड के तहत बेचा जाएगा।
- फवीपिरवीर
Favipiravir भी एक एंटीवायरल दवा है जो वायरल प्रतिकृति को रोकने के लिए दिया जाता है। इसे एक एंटी-इन्फ्लूएंजा दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका निर्माण जापान की फुजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड द्वारा किया गया था।
- डेक्सामेथासोन
डेक्सामेथासोन सूजन को कम करने के लिए अन्य बीमारियों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य स्टेरॉयड है । स्टेरॉयड दवा दशकों से जेनेरिक दवा के रूप में उपलब्ध है। इसका उपयोग गठिया, अस्थमा, एलर्जी और यहां तक कि कैंसर के रोगियों को कीमोथेरेपी के बाद पीड़ित व्यक्ति की जाती रही है। यह कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग की जाती है।
- हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) दवा को भारत में पहली बार मलेरिया के इलाज के लिए विकसित किया गया था। यह दवा एक वैक्सीन एंटी-रयूमेटिक ड्रग (DMARD) भी है, जो गठिया के रोगियों में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करती है।
- प्लाज्मा थेरेपी
कॉन्सवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी या सीपीटी में कोरोना वायरस से ठीक हो चुके मरीज के ब्लड के प्लाज्मा का इस्तेमाल दूसरे व्यक्ति के इलाज में होता है। इस थेरेपी का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए पहले भी किया जा चुका है, लेकिन कोरोना वायरस के लिए यह कितना उपयोगी है इसकक अभी भी जांच हो रही है।
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थेरेपी कैसे काम करती है ?
कॉन्सवेसेंट प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के खिलाफ संक्रमित रोगी में विकसित एंटीबॉडी का उपयोग कर के करता है।
सबसे पहले, ऐसे लोगों से प्लाज्मा लिया जाता है और फिर गंभीर रूप से बीमार रोगियों में इंजेक्शन लगाया जाता है ताकि एंटीबॉडी को स्थानांतरित किया जाए और वायरस के खिलाफ उनकी लड़ाई को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके