प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख दौरा चीन और पाकिस्तान के लिए कोई संदेश तो नहो ? गलवन घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच झड़प में देश 20 सैनिक शहीद हो गये थे। तब से ही चीन भारत के बीच सीमा रेखा पर तनाव का माहौल है।
इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अचानक से लद्दाख का दौरा किया और भारतीय सेना के मनोबल को बढ़ाने का काम किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा चीन के लिए एक संकेत है कि यह नया भारत है यह किसी से डरेगा नही और न ही झुकेगा। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ चीन को बल्कि पूरी दुनिया को यह बताने में कामयाब रहे हैं कि भारत किसी भी वार पर पीछे नहीं हटने वाला है।
वह हर प्रतिघात से बचने की कोशिश करेगा लेकिन भारत करारा जवाब देने में भी सक्षम है। भारत ने चीन के साथ ही पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश दिया है। भारत गिलगित बालिस्तान की स्थिति पर भी विचार कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख जाना चीन और पाकिस्तान के लिए साफ संकेत है कि दोनों देशों को अपनी हद में रहना होगा नहीं तो भारत जवाबी कार्रवाई करने में कभी भी पीछे नहीं हटेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे से चीन तिलमिलाया हुआ है और उसने विरोध जताते हुए दोनों देशों को ऐसे कोई भी कदम न उठाने की बात कही जिससे तनाव और बढे।
इसके अलावा चीन ने दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास किया इससे दक्षिण एशिया के साथ दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र में भी सामाजिक संतुलन एक तरह से बिगड़ गया है। चीन की वजह से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की संप्रभुता पर भी एक तरह से खतरा मंडरा रहा है।
अमेरिका ने चीन द्वारा किए गए इस अभ्यास पर एतराज जताते हुए मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। अमेरिका ने 1 से 5 जुलाई के बीच दक्षिण चीन सागर के पैरासेल द्वीप समूह के पास पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के द्वारा हुए सैन्य अभ्यास पर एक प्रेस बयान के जरिए अपनी चिंता व्यक्त की है और चीन के इस सेना अभ्यास को गैरकानूनी कहा है।
अमेरिका ने कहा है कि चीन का यह सैन्य अभ्यास 2002 की घोषणा पत्र का उल्लंघन है। अमेरिका ने यह भी कहा है कि इससे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है और ऐसे में इस क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की संभावना है।
अमेरिका के रक्षा विभाग का कहना है कि चीन द्वारा किया गया सैन्य अभ्यास उसकी सोची-समझी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीन का समुद्री क्षेत्र में अवैध दावा करने का सिलसिला काफी समय से चल रहा है और यह उसी का ही एक हिस्सा है
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चीन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लद्दाख दौरे का भी विरोध किया। चीन का कहना है कि सीमा पर उत्पन्न हुए तनाव के मद्देनजर दोनों देशों को शांति और संयम बरतना चाहिए नही तो स्थिति खराब हो सकती है।
वहीं भारत के सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दिलावर सिंह का मानना है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अचानक से लद्दाख दौरे को ध्यान से देखें तो इससे यह पता चलता है कि भारत चीन के साथ हर मोर्चे पर लड़ाई करने की अपनी तैयारी कर रहा है।
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वहीं पाकिस्तान के उड़ी, बालाकोट में जिस तरह से भारत ने कार्यवाही की है इससे चीन को सबक लेना चाहिए। अभी हाल में गलवन घाटी में जो मुठभेड़ हुई जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुये। अगर चीन भारत दबाने की कोशिश करेगा तब तनाव बढ़ सकता है।
वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ अजय का कहना है कि मौजूदा हालात में प्रधानमंत्री का लद्दाख जाना और सैनिकों से मिलना इस बात का संकेत है कि भारत हर स्थिति में आगे बढ़ने के लिए अपनी पूरी तैयारी से है।
भारत के संयम को अगर उसकी कमजोरी समझा जाएगा तब यह गलत होगा। भारत किसी भी देश के द्वारा किए गये दुस्साहस का करारा जवाब देने में सक्षम है और तैयार है।