संविधान दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया में एक कार्यक्रम के जरिए देशवासियों को संबोधित किया है। इस दौरान उन्होंने मुंबई हमले में शहीद लोगों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि हम 2611 के जख्म को कभी भूल नहीं सकते हैं।
बता दें कि साल 2008 में 26 नवंबर को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने ताज होटल में लोगों को बंधक बनाकर हमला किया था, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। भारत आज कई नीतियों के साथ आतंकवाद का सामना मजबूती से कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन को संबोधित किया और 1990 से 11 मुंबई हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह बताएं कि भारत कैसे आतंकवाद से लड़ रहा है।
20 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी संगठन के रास्ते मुंबई पहुंच कर हमला किया था। जिसमें 18 सुरक्षाकर्मी समेत कुल 166 लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने वन नेशन वन इलेक्शन की बात भी कही है और कहा कि यह भारत की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कुछ महीने में भारत के अलग-अलग जगह पर चुनाव होते रहते हैं। जिससे विकास के कार्यों पर असर पड़ता है इसलिए “वन नेशन वन इलेक्शन” पर ध्यान देना और इस पर विचार विमर्श करना भारत की जरूरत है।
बता दें कि अभी हाल में ही प्रधानमंत्री ने लोकसभा विधानसभा और पंचायत चुनाव के लिए एक मतदान सूची रखने का सुझाव दिया था। कहा था कि अलग-अलग सूचियां संसाधनों की एक तरह से संसाधन की बर्बादी करते हैं इसलिए विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को बेहतर ढंग से काम करने के लिए समन्वय के साथ काम करना चाहिए और राष्ट्रहित के आधार पर फैसले लेने चाहिए।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि जब राजनीति लोगों और राष्ट्र की नीतियों पर चलती है तो बहुत बार राष्ट्र को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
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उन्होंने सरदार सरोवर बांध के पूरा होने में देरी को उदाहरण के रूप में लिया और कहा कि यह सुस्त पड़ा और कई सालों बाद पूरा हुआ। इसकी प्रमुख वजह राजनीतिकरण रहा है। यह पहले भी पूरा किया जा सकता था।
जब इसे पहले ही प्राथमिकता दी गई होती तो इसे पहले भी पूरा किया जा सकता था। इसके लिए उन्होंने स्पष्ट तौर पर कांग्रेस पर हमला किया। उदाहरण के लिए उन्होंने मोदी सरकार द्वारा निर्मित स्टेचू ऑफ यूनिटी को उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा कि हम 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए संविधान के बताए रास्ते पर चलें। उन्होंने संविधान के बारे में जागरूकता को बढ़ाने की भी बात कही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे संविधान में कई विशेषताएं हैं।
महात्मा गांधी ने भी भारतीय संविधान में वर्णित अधिकारों और कर्तव्यों के बीच एक संबंध देखा था और कहा था कि कई बार हम अपने कर्तव्य का पालन करते करते अपने अधिकारों के द्वारा ही सुरक्षित कर देते हैं।
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बता दें कि भारतीय अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन की शुरूआत साल 1921 विकी गई थी और गुजरात कार्यक्रम के दौरान शताब्दी वर्ष के रूप में इसे चयनित किया गया था। इस बार साल 2020 के लिए इस सम्मेलन का थीम था विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सामंजस पहुंच समन्वय एक जीवंत लोकतंत्र की कुंजी है।
मालूम हो कि भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है क्योंकि 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद संविधान सभा का गठन किया गया और संविधान का निर्माण शुरू हुआ। 26 नवंबर 1949 को संविधान को आंशिक रूप से अंगीकृत किया गया था। इसलिए हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में और संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।