अयोध्या में भगवान श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण 5 अगस्त यानी कि आज से भूमि पूजन के साथ ही शुरू हो गया है। इसके लिए 3 दिन स्व यानी सोमवार से ही अनुष्ठान शुरू हो गए थे।
इस भूमि पूजन के कार्यक्रम को भव्य और वैभवशाली बनाने के लिए सभी कोशिशें की जा रही हैं। राम जन्म भूमि अयोध्या के साथ ही लक्ष्मण नगरी लखनऊ को भी सजाया गया है। एयरपोर्ट से अयोध्या तक जाने वाली सड़कें सजाई गई है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है, विशेष करके अयोध्या और आसपास के इलाकों में। इसी के साथ ही भूमि पूजन के 1 दिन पहले मन्दिर एक नए मॉडल को सार्वजनिक किया गया है और इस मॉडल की लगने वाली होर्डिंग बेहद आकर्षक लग रही है।
जहां पुराने मॉडल में 3 शिखर देखने को मिलते थे अब इसमे 6 शिखर दिख रहे है। अयोध्या की दीवारों पर राम के जीवन के प्रसंग को जीवंत करने वाले चित्रण किए गए हैं और लक्ष्मण किला में भगवान श्रीराम और माता जानकी को झूला झूलाते संत महंत और श्रद्धालु देखे जा रहे हैं।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या रेलवे स्टेशन को 160 करोड़ की लागत के साथ पुनर्विकास करने की योजना है।
श्रीराम जन्मभूमि का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। आरएसएस के समाज सेवक अयोध्या के 111 चौराहों को सजाने का काम किए हैं। इन चौराहों पर भगवान श्रीराम की भव्य होर्डिंग लगाई गई है और इसी के साथ भगवा ध्वज की तस्वीरें भी देखी जा रही हैं।
भगवान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन का अनुष्ठान 5 अगस्त को सुबह 6:00 बजे से ही शुरू हो गया है जिसकी लाइव स्ट्रीम में डीडी न्यूज़ और डीडी नेशनल पर देखा जा सकता है क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस कार्यक्रम में बेहत सीमित लोगो को ह8 शामिल होने की अनुमति है।
लेकिन देश और दुनियाभर के लोगों को इस ऐतिहासिक भूमि पूजन का हिस्सा बनाने के लिए भूमि पूजन का लाइव प्रसारण किया जा रहा है।
भूमि पूजन के मद्देनजर अयोध्या में सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया गया है और चप्पे-चप्पे पर निगरानी की जा रही है।
अयोध्या के बारे में कहा जाता है कि है यह सिर्फ बसावट नहीं है बल्कि एक सभ्यता है। अयोध्या वासियों के कण-कण में भगवान श्रीराम बसते हैं। भगवान श्रीराम का जन्म सरजू नदी के तट पर बसे इस अलौकिक अयोध्या नगरी में माता कौशल्या के गर्भ से हुआ था और तब से अयोध्या को अयोध्यापुरी के नाम से भी जाना जाने लगा।
सरयू नदी के तट पर बसे अयोध्या का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। इसके अलावा बाल्मीकि रामायण के बालकांड में बताया गया है कि मनु महाराज ने ही अयोध्या नगरी बसाई थी और यह 12 योजन लंबी और 3 योजन जोड़ी बताई गई है। अयोध्या का कुल क्षेत्रफल 79.8 वर्ग किलोमीटर है।
बाल्मीकि रामायण में भगवान श्री राम के वंश का भी वर्णन मिलता है। अयोध्या नगरी के नामकरण को लेकर भी कई पौराणिक कथाएं कही जाती है। कहा जाता है कि अयोध्या नगरी महाराज मनु ने बसाई थी और इसे अपने जेष्ठ पुत्र इक्ष्वाकु को दे दिया था और उन्हीं के पुत्र विकुक्षि अयोध्या के राजा बने थे।
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विकुक्षि का ही दूसरा नाम अयोध था और इन्ही के नाम पर इस जगह का नाम अयोध्या पड़ गया। प्राचीन काल ने अयोध्या कोशल राज्य की राजधानी थी।
यह पूर्व में स्थित होने के कारण यह बाहरी आक्रमणकारियों से बचा रहा क्योंकि ज्यादातर आक्रमण पश्चिमी राज्यों पर ही हुआ करते थे और बाहरी आक्रमणकारियों में इतनी हिम्मत नही थी कि वह इतना अंदर घुस कर कोशल की तरफ बढ़ सके। इस राज्य को कभी आक्रमणकारियों द्वारा जीता नही जा सका और यह अजय रहा है इसीलिए इसे अवध भी कहा गया।