भारत में कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार लिया है। सरकार ये दावा कर रही है कि कोरोना वायरस से रिकवरी रेट भारत में काफी अधिक है। कोरोना वायरस से रिकवर होने का मतलब चिकित्सीय भाषा में संक्रमण की रिपोर्ट नेगेटिव आ जाना है। जब कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की कुछ समय इलाज के बाद दूसरी टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है तब यह मान लिया जाता है कि व्यक्ति पूरी तरीके से स्वस्थ हो गया है।
सरकार भी इसका श्रेय ले ले रही है। लेकिन क्या वाकई में कोरोना वायरस से रिकवर हुए मरीज पूरी तरीके से स्वस्थ होते हैं ? यह एक गंभीर सवाल है। डाउन टू अर्थ के एक लेख में बताया गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की रिपोर्ट जब नेगेटिव आ जाती है और उसे रिकवर मान लिया जाता है लेकिन तब भी वह पूरी तरीके से स्वस्थ नहीं होता है बल्कि बाद में कई तरह की समस्याएं उसे होती रहती हैं जैसे कि चक्कर आना, सांस फूलना, दर्द होना, ऐसे कई समस्याएं एक बार कोरोना वायरस से व्यक्ति के ठीक हो जाने के बाद उसमें देखने को मिल रही है।
यह रिपोर्ट कुछ मरीजों से बातचीत के आधार पर निकाली गई है :-
केस 1 – दिल्ली के पांडव नगर के रहने वाले एक 34 वर्षीय युवा जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद कुछ इलाज के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर चिकित्सीय भाषा में कोरोना वायरस से रिकवर होया। डॉक्टर ने यह मान लिया गया कि वह पूरी तरीके से स्वस्थ है। दरअसल वह पूरी तरीके से स्वस्थ नहीं हुआ है। रिकवर हुए व्यक्ति का कहना है कि उसे जिंदगी में कभी भी सिर में दर्द इस तरह नही हुआ था।
लेकिन कोरोना वायरस से रिकवर होने के बाद उसके सिर में असामान्य ढंग से अचानक से दर्द होने लगता है। यह दर्द सिर के कई अलग-अलग हिस्सों में होता है। उसने यह भी बताया कि पहले वह चार पांच मंजिल सीढ़ियां आसानी से चढ देता था लेकिन अब दूसरी मंजिल तक सीढ़ियां चढ़ने में ही उसकी सांसे फूलने लग जाती हैं।
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यही नही रात के दौरान अचानक से सांस लेने में परेशानी उसे महसूस होती है। उसने अभी बताया कि कभी कभार चलते वक्त भी ऐसा महसूस होता है जैसे चक्कर आ जाएगा और वह गिर जाएगा। हमेशा कमजोरी और थकान महसूस होती रहती है।
बता दें कि इस व्यक्ति को 28 जून को बुखार, खांसी, सर्दी और सिर दर्द के लक्षण पाए गए थे और 8 जुलाई को जब उसने टेस्ट करवाया तो उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, क्योंकि उसमें कोरोना वायरस के माइल्ड इंफेक्शन थे तो डॉक्टर ने होम क्वारेन्टीन की सलाह दी और बुखार और मल्टी मल्टी विटामिंस की दवा देते रहे लेकिन 25 जुलाई को उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई और उसे स्वस्थ कह दिया गया।
परन्तु उस व्यक्ति का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान उसे उतनी समस्याएं नहीं हुई जितनी अब हो रही हैम हालांकि उसने उम्मीद जताई है कि एक दो महीने के बाद उसकी समस्या खत्म हो जाएगी।
केस 2 – एक समाचार चैनल के संवाददाता जो कि करीब दो महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, उन्हें रिकवर होने के बाद भी कुछ समस्याएं बनी हुई हैं। उन्हें भी सीढ़ियां चढ़ते वक्त सास फूलने की समस्या होने लगती है साथ ही रात में पेट के बल सोने के दौरान उन्हें सांस लेने में परेशानी महसूस होती है।
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वह यह मानकर चल रहे हैं कि उन्हें लंबे समय तक इस समस्या से जूझना होगा। लेकिन हो सकता है कि आने वाले वक्त में वह पूरी तरीके से ठीक हो जाये। दरअसल केस 1 की तरह ही इन्होंने भी कोरोना वायरस पॉजिटिव होने पर खुद को घर में ही क्वॉरेंटाइन किया और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद डॉक्टर से उनका संपर्क टूट गया है।
केस 3 – दिल्ली की ही 34 वर्षीय शिक्षिका भी एक अजीब परेशानी से जूझ रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके दिल की धड़कन अप्रत्याशित रूप से तेज हो जाती है और उन्हें घबराहट महसूस होती है। कई बार तो उन्हें ऐसा लगता है कि कलेजा सीने से ही बाहर आ जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि जब भी वह दिल की धड़कन की जांच कराई तब दिल की धड़कन सामान्य आती है। बता दें कि इन्होंने 7 जून को कोरोना वायरस का टेस्ट करवाया था और 3 दिन बाद कोरोना से पॉजिटिव होने की रिपोर्ट आई थी।
केस 4- भोपाल के रहने वाले एक 39 वर्षीय व्यक्ति के 3 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी और वह 27 अप्रैल को कोरोना वायरस से रिकवर हो गए। 3 महीने बीत जाने के बाद भी अभी वह पूरी तरीके से स्वस्थ महसूस नहीं करते हैं क्योंकि कोरोना वायरस ने उनके फेफड़े पर हमला किया था।
नतीजा फेफड़े को नुकसान पहुंचा है और ज्यादा चलने के दौरान सांस फूलने की समस्या हो जाती है उन्हें आशंका है कि भविष्य मे उन्हें अस्थमा की समस्या हो सकती है। रिकवर होने के 4 महीने बाद जब उन्होंने फेफड़े का एक्सरे करवाया तब उसमें हर बार दिखा कि फेफड़े को नुकसान पहुंचा है।
ऐसे में कोरोना वायरस से रिकवर होने वाले व्यक्ति को आगे भी सावधानी बरतने की जरूरत है। विशेष करके जिन्हें सांस लेने और थकान जैसी समस्याएं हो रही हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य के लिए आने वाले भविष्य में हमेशा के लिए अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत होना होगा और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।