भारत और चीन के बीच हिंसक झड़पों में भारत के 20 जवान शहीद हो गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमें एक विंग कमांडर और दो सैनिक शहीद हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन के कई दर्जन सैनिक के मारे जाने की भी खबरहै और दर्जनों सैनिक गंभीर रूप से घायल है।
लेकिन चीन ने अभी इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। लेकिन चीन सरकार के ग्लोबल टाइम्स के पत्रकार ने शोसल साइट पर जानकारी देते हुए लिखा है कि इस संघर्ष में चीन को भी क्षति उठानी पड़ी है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार भारत और चीन के बीच हुई इस हिंसक झड़प और सीमा की स्थिति पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नजर बनाए हुए हैं, साथ ही रक्षा मंत्री ने सेना के तीनों प्रमुखों और विदेश मंत्री से भी बैठक की है।
वहीं चीनी विदेश मंत्रालय ने इस झप का पूरा दोष भारतीय सेना पर डाला है और आरोप लगाया है कि भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करके चीनी सीमा क्षेत्र में घुसकर सैनिकों पर हमला किया।
यह झड़प इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई दशकों के बाद इस सीमा क्षेत्र में किसी भी जवान के शहीद होने की खबर आई है। लेकिन समय-समय पर दोनों देशों के बीच धक्का-मुक्की की बातें अक्सर आती रहती थी।
लकिन लद्दाख के गलवन क्षेत्र में हुई इस झड़प में भारत के 20 जवान की मौत हो गई है। इसके पहले 1975 में असम राइफल के चार जवानों के शहीद हुए थी।
मालूम हो कि पिछले कुछ समय से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है और दोनों पक्षों द्वारा समझौते के लिए लगातार बातचीत का दौर भी जारी है।
बातचीत के बाद चीनी सेना कुछ पीछे हटी थी लेकिन अब दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प और सैनिकों के शहीद होने की खबर आई है। लद्दाख बॉर्डर पर इस समय माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चीन और भारत के बीच झड़प इन दोनों क्यों हो रही हैं और चीन क्या चाहता है? रिटायर्ड जनरल डीजी बक्सी के अनुसार समय-समय पर दोनों सेनाओ में तनाव बना रहता है और चीन का रवाया सभी को अच्छी तरह से मालूम है।
साल 2017 में डोकलाम विवाद 75 दिन तक चला था। इस दौरान पूरे समय चीन और भारत की सेनाएं आमने सामने मौजूद थी और कूटनीतिज्ञ नीति के जरिए इस मसले को हल किया गया था। अब एक बार फिर से लद्दाख में दोनों देश की सेनाएं आमने-सामने हैं।
यह भी पढ़ें : भारत का चीन को जवाब : अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है भारत
बता दें कि जब से भाजपा सरकार केंद्र में आई है तब से भाजपा सरकार ने यह बात स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान के गुलाम कश्मीर समेत गिरगिट और बलिस्तान का क्षेत्र वापस ले लेगी, जिसका अवैध रूप से पाकिस्तान ने कब्जा किया है। वहीं भारत चीन द्वारा भी अवैध रूप से कब्जा किए गए अक्साई चीन को भी वापस लेना चाहता है।
चीन इस समय इसलिए भड़का हुआ है क्योंकि भारत के जिस क्षेत्र का पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया है वहां से चीन का एक आर्थिक गलियारा होकर गुजरता है जो कि चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिस पर चीन ने खरबों रुपए खर्च कर डाले हैं।
यह भी पढ़ें : चीन को घेरने के लिए भारत समेत सात बड़े देश साथ आये
यहां से चीन भारत की पश्चिमी सीमा पर नजर रखना चाहता है साथ ही इस आर्थिक गलियारे के विकसित होने से चीन द्वारा अन्य देशों से होने वाले व्यापार की लागत और समय कम हो जाएगा।
भारत में जब भारत पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र में चीन द्वारा जा रहे इस आर्थिक गलियारे पर सवाल किया खड़ा किया तब अमेरिका ने भी भारत का समर्थन किया था। चीन को डर है कि अगर भारत पाकिस्तान से अपना हिस्सा वापस ले लेता है तब उसका खरबों डालर का निवेश एक तरह से बर्बाद हो जाएगा इसी लिए पाकिस्तान द्वारा भट पाक सीमा पर अशांति उतपन्न के लिए पाकिस्तान की मदद करता रहता है।
वही कोरोना वायरस महामारी के लिए भी चीन जांच के घेरे में है और चीन के खिलाफ होने वाली जांच के मसौदे पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका लगातार चीन पर प्रतिबंध लगा रहा है इसलिए समय-समय पर चीन इन सब मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के विवाद उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा है।